1)1)केपलर के प्रथम नियम या दीर्घवित्तीय कक्षाओ का नियम को व्युत्पन्न करना?
केपलर के प्रथम नियम या दीर्घवित्तीय कक्षाओ का नियम- "प्रत्येक ग्रह सूर्य के चारो ओर एक दीर्घवृत्ताकार कक्षा में घूमता है और सूर्य उस कक्षा के एक फोकस पर होता"
नोट:- प्रत्येक ग्रह की एक निश्चित कक्षा होती है अर्थात भिन्न-भिन्न ग्रहों की भिन्न-भिन्न कक्षाएं होती है।
माना चित्रानुसार m द्रव्यमान का एक ग्रह A, M द्रव्यमान के सूर्य S के गुरुत्वीय क्षेत्र में गतिमान है। बिंदु A पर सूर्य के कारण ग्रह पर लगने वाला गुरुत्वाकर्षण बल
जहाँ,r सूर्य से ग्रह की दूरी है। हम जानते है कि ग्रह पर सूर्य के कारण लगने वाला यह बल त्रिज्यीय तथा केन्द्रीय बल है। अतः न्यूटन के गति के नियमानुसार, बल = द्रव्यमान × त्रिज्यीय त्वरण
ऊपर दिए गये समीकरण के दोनों तरफ r3 से गुणा करने पर
हम जानते है कि समी. (4) का हल निम्नानुसार होता है,
हम जानते है कि एक शंकु परिच्छेद का समी. l/r = 1 + e cos थीटा होता है। इसकी समी. (5) से तुलना करने पर, उत्केन्द्रता e और नाभिलम्ब की लम्बाई l क्रमशः है-
ग्रह के लिए उत्केन्द्रता का मान 1 से कम पाया जाता है और हम जानते है की यदि e<1, अर्थात,
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