उष्मागतिक चरों P,V,T और S एवं उष्मागतिक विभवों U,F,H तथा G की सहायता से मैक्सवेल ने चार उष्मागतिक सम्बन्ध हासिल किये जिन्हें मैक्सवेल के उष्मागतिक सम्बन्ध कहते है।
मैक्सवेल के उष्मागतिक संबंधो का निगमन=>
1)मैक्सवेल का तृतीय उष्मागतिक सम्बन्ध या एन्थैल्पी से मैक्सवेल का तृतीय सम्बन्ध=>
हम जानते है की किसी उष्मागतिकी निकाय के लिए एन्थैल्पी का मान निम्न समीकरण द्वारा दिया जाता है-
H = U + PV .............(1)
निकाय की अवस्था में अतिसूक्ष्म उत्क्रमणीय परिवर्तन होने पर उसकी एन्थैल्पी में परिवर्तन,
अवकलन करने पर
dH = dU + PDV + VdP
उष्मागतिकी के प्रथम व द्वितीय नियम से,
dU = TdS - PdV
अतःdH = TdS - PdV + PdV + PdV
याdH = TdS + PdV .............(1)
चूँकि -PdV + PdV = 0
स्पष्ट है कि निकाय की एन्थैप्ल्पी उसके दाब तथा एन्ट्रापी का फलन है, अर्थात
H = H (S,P)
H का S तथा P के सापेक्ष आंशिक अवकलन करने पर,
dP ........(2) ये समीकरण 2 के पहले मिस हुआ है सुधार ले।
समीकरण (1) व (2) की तुलना करने पर,
चूँकि d H एक पूर्ण या यथावत अवकलन है, अतएव
उपरोक्त समीकरण मैक्सवेल का तृतीय उष्मागतिक सम्बन्ध कहलाता है।
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